The mustache princess in whose love 13 princes had committed suicide

21वीं सदी चल रही है इस दोर मे हम खूबसूरती को अलग अलग तरीकों से नापते है जैसे चेहरे का रंग और शरीर की बनावट पर 19वीं सदी में ऐसा नहीं था. दरअसल 19वीं सदी में मोटापे को ख़ूबसूरत समझा जाता था.

भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में लोग मोटे लोगों को सबसे ख़ूबसूरत मानते थे. पतले और फिट लोगों को ज़्यादा पसंद नहीं किया जाता था. 

आज हम आपको एक ऐसी राजकुमारी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे 19वीं सदी के लोग बला की हसीन और ख़ूबसूरत मानते थे. और तो और उन्हे पाने के लिए राजकुमार किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते थे.

Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh
Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh
मूछों वाली राजकुमारी

ईरान मे मूछों वाली राजकुमारी की सुंदरता के किस्से आज भी मशहूर हैं. इस राजकुमारी का नाम Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh था. वो दिखने में ख़ूबसूरत तो नहीं थी, लेकिन उनमें दो खूबियां थी. एक तो शाही वंश से ताल्लुक रखने के चलते वो बेहद अमीर थीं और दूसरा ये कि वो उस समय इराक में सबसे शिक्षित महिलाओं में से एक थी.

Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh
Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh

अगर राजकुमारी ‘ज़हरा खानम तदज एस-सल्टानेह’ की ख़ूबसूरती की बात करें तो, वो शारीरिक रूप से मोटी थीं, पर रंग उनका साफ था ,उनकी मूछें थी और आंखों के ऊपर उनकी घनी भौहें भी थी. बावजूद इसके राजकुमारी की ख़ूबसूरती के लिए लोग जान देने के लिए भी तैयार रहते थे.

Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh
Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh

कहा जाता है 19वी सदी मे राजकुमारी ज़हरा खानम को कई लोगों ने विवाह प्रस्ताव भेजे, परंतु उन्होंने अधिकतर को मना कर दिया. राजकुमारी द्वारा विवाह प्रस्ताव ठुकराने के फलस्वरूप 13 राजकुमारों ने आत्महत्या कर ली थी. इस दौरान उन्हें कुल 145 युवकों ने शादी का प्रस्ताव भेजा था.

Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh
Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh

दरअसल, राजकुमारी ज़हरा ने विवाह प्रस्ताव इसलिए ठुकरा दिए थे क्यूंकी वो पहले से अपने प्रेमी फ़ारसी राजा ‘नासिर अल-दीन शाह कजर’ से शादी कर चुकी थीं. इस शादी से उन्हें दो बेटियां और दो बेटे भी थे. राजा ‘नासिर अल-दीन शाह कजर’ की भले ही 84 पत्नियां थीं, लेकिन ज़हरा उनके सबसे क़रीब मानी जाती थीं.

Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh
Zahra Khanom Tadj es-Saltaneh

राजकुमारी का जन्म सन 1883 में तेहरान में हुआ था. और सन 1936 में उनका निधन हो गया. लेकिन उन्होंने जमाने के सामने ख़ूबसूरती की परिभाषा को ही बदल कर रख दिया था. और अपनी ज़िंदगी बेबाकी से जी.

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