gandhi ji ne suit boot chod sirf dhoti pahenna kyu shru kita tha

कद था उनका छोटा सा और सरपट उनकी चाल रे,

दुबले से पतले से थे वो चलते सीना तान के

वाकई बन्दे में बहुत दम था यही वजह है कि आज बापू के जाने के इतने साल बाद भी हम उन्हें याद करते हैं। जगह-जगह बापू की मूर्तियां लगाई गई हैं। उनके नाम पर सड़कों के नाम भी रखे गए हैं। पर आपने कभी नोटिस किया है कि बापू जहाँ भी नजर आते थे, सिर्फ धोती में ही नजर आते थे। बापू के धोती पहनने के पीछे भी एक ख़ास वजह है। चलिए आज इतिहास के उस हिस्से से पर्दा उठाते हैं जिसकी वजह से बापू ने धोती पहनना शुरू किया।

गांधी जी जब चंपारण में आंदोलन कर रहे थे तब उन्हे बहुत परेशान किया गया, पर गांधी जी अपने आंदोलन से पीछे नहीं हटे फिर अंगेरीजी हुकूमत की तरफ से उनको एक नोटिस आया ओर उनको तलब किया गया

जब गांधी जी ने मुजफ्फरपुर में एक आला अधिकारी से मुलाकात की तो वह अंग्रेजी अफसर ने उनको ये आंदोलन वापस लेने ओर किसानों की मदद न करने पर समझोंता करने का दबाव बनाया

पर गांधी जी ने उनकी किसी भी बात को मानने से मना कर दिया ओर आंदोलन तेज कर दिया जब ये बात उन अफसरों को पता लागि तो उन्होंने गांधी  जी को  धमकाया, अंग्रेजी अफसरों को गांधी जी को  धमकाते हुए तीन औरतों ने देख लिया और वो इस घटना की गवाह बन गई.

अब चंपारण मे जो भी कुछ गांधी जी के साथ हुआ उसकी गवाही के लिए इन 3 औरतों को आना था, पर उन्होंने आने से मना कर दिया

जब उनसे मना करने वजह पूछी गई तो उन्होंने अपने घर के हालत देखने के लिए अंदर बुलाया तो वह पर सिर्फ एक औरत साड़ी पहने खड़ी थी बाकी तो निवस्त्र थी.

ये हालत सुन कर गांधी जी के आँसू निकाल आए

पर वो गवाही देना चाहती थी इस वजह से उनको बारी बारी से बुलाया गया क्यूंकी उनके पास साड़ी एक ही थी जन एक औरत गवाही दे कर जाती तो दूसरी उसकी साड़ी पहन कर आती ऐसे उन औरतों ने गवाही दी थी.

देश की महिलाओ का ये हाल गांधी जी से सहन नहीं हुआ ओर उसी दिन से गांधी जी से कपड़े तियाग दिए ओर मरते दम तक सिर्फ धोती पहनी.

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