हम सभी गाड़ियों का इस्तेमाल करते ही हैं. अब वो चाहें साइकिल हो या फिर बाइक-कार या फिर हवाईजहाज. आपने कभी गौर किया है कि वाहन कोई भी हो, मगर उसके टायर का रंग हमेशा काला ही होता है. लेकिन शायद ही इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश की हो! आज हम आपको इसके पीछे की वजह भी बताएंगे
पहले टायरों का रंग काला नहीं था

पहले टायरों का रंग काला नहीं था. जी हां, 125 साल पहले जब पहले रबर टायर का प्रोडक्शन किया गया तो ये सफेद रंग का था. दरअसल, ऐसा रबर की वजह से था.
क्योंकि, इसे बनाने में दूधिया रंग के रबर का इस्तेमाल हुआ था. मगर ये टायर इतने मज़बूत नहीं थे कि गाड़ी के भार और झटकों को सहन कर सकें.
क्यों सफ़ेद टायर बन गया काला?

दरअसल, इसके पीछे वजह टायरों का मज़बूत बनाना था. ऐसा महसूस किया गया कि अगर टायरों का अधिक मज़बूत बनाना है तो उसके मटीरियल में कुछ न कुछ मिलाना पड़ेगा.
ऐसे में कॉर्बन ब्लैक जैसा मटीरियल बढ़िया ऑप्शन मालूम पड़ा. हालांकि, इसे मिलाने से टायर की क्षमता और उम्र तो बढ़ी, मगर टायर का रंग पूरा काला पड़ गया.

कॉर्बन ब्लैक टायर और सड़क की सतह के बीच होने वाले जबरदस्त घर्षण से टायर को गर्म होकर पिघलने नहीं देता है और गर्म सड़को पर भी चलाने का इनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.
इसके अलावा, कॉर्बन ब्लैक टायर की रक्षा और ओज़ोन के हानिकारक असर से लेकर यूवी रेडिएशन तक से बचाने में मददगार होता है. यही वजह है कि हर तरह के वाहनों में काले रंग के टायरों का इस्तेमाल होने लगा.