महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर और बस्ती की इन चार चीनी मिलों पर इस सत्र का 212 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य बकाया है
यूपी: पूर्वांचल की तीन चीनी मिलें इस सीजन में एक रुपये का भुगतान किए बिना बंद हो गई हैं जबकि एक चीनी मिल ने इस सत्र में केवल पांच दिन के गन्ना मूल्य 4.91 करोड़ का भुगतान किया है. महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर और बस्ती की इन चार चीनी मिलों पर इस सत्र का 212 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य बकाया है. इन चीनी मिलों पर पिछले वर्ष का भी गन्ना मूल्य बकाया है.

भारी बारिश और रेड राॅट (ललका कैंसर ) रोग से गन्ने की फसल को हुई व्यापक क्षति से पहले से परेशान परेशान किसानों की हालत गन्ना मूल्य न मिलने से और खराब हो गई है.शुगर केन कंट्रोल ऑर्डर 1966 में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि चीनी मिलें किसान को गन्ना आपूर्ति के 14 दिन के अंदर भुगतान कर देंगी.
यदि वे ऐसा नहीं करती हैं तो उन्हें बकाया गन्ना मूल्य पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा लेकिन सरकार अपने इस नियम का पालन न तो निजी चीनी मिलों से करवा पा रही है न उसकी खुद की चीनी मिलें इसका पालन कर रही हैं.उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 फरवरी को कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया कि वह इस वर्ष गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाएगी.
योगी सरकार ने पिछले तीन वर्षों में गन्ना मूल्य एक रुपये भी नहीं बढ़ाया है.हैरानी की बात यह है कि इस वर्ष गन्ना मूल्य न बढ़ाने का फैसला गन्ना सत्र के आखिर में लिया जा रहा है जब चीनी मिलें पेराई कर बंद हो रही है.
चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अनुसार प्रदेश में इस वर्ष कुल 120 चीनी मिलें चल रही हैं जिन्होंने 13 फरवरी तक 6113.87 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई करते हुए 629.31 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है. विभाग के अनुसार इस सत्र में 8,164 करोड़ गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है. विभाग ने बकाया गन्ना मूल्य की जानकारी नहीं दी है.
विभाग की वेबसाईट पर बताया गया की गोरखपुर और बस्ती मंडल के सात जिलों में इस सत्र में 12 चीनी मिलें चलीं, जिसमें से चार चीनी मिलें 212 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य बकाया छोड़कर बंद हो गईं.