The process of migration of people continues on the second day of lockdown

पलायन की पीड़ा : दिहाड़ी कामगारों ने किया नोएडा-गुरुग्राम का रुख, आसपास का भी आसरा सैकड़ों प्रवासियों ने किया बस अड्डों का रुख
काम की तलाश में एनसीआर के शहरों में भी श्रमिकों का हो रहा है पलायन


लॉकडाउन के दूसरे दिन भी लोगों के पलायन का सिलसिला जारी है। सरकार की अपील के बाद अपने मूल राज्यों की तरफ रुख करने वालों की संख्या कुछ कम हुई है। दिहाड़ी पर काम करने वाले कुछ श्रमिक अब गुरुग्राम, फरीदाबाद सहित आसपास के शहरों में जा रह हैं ताकि उनकी रोजी रोटी चलती रहे।

उधर, आनंद विहार बस अड्डा पर भी पलायन करने वालों पर सुरक्षा कर्मी लगातार नजर रख रहे हैं। प्रशासन की ओर से श्रमिकों को खान- पान सहित सभी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया की जा रही हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए बस अड्डा पर हेल्प डेस्क बनाए गए हैं तो सामाजिक दूरी और मास्क पहनने के नियमों का पालन करवाने में सुरक्षा कर्मी लगातार जुटे हुए हैं।


दोपहर बाद करीब दो बजे धौला कुआं में बस का इंतजार कर रहे गुलाब और लालजीत यादव ने बताया कि अपने एक साथी के साथ बावल से गोरखपुर जाने के लिए रवाना हुए हैं। धौला कुआं पर आधे घंटे से बस का इंतजार कर रहे हैं ताकि बस अड्डा पहुंच सकें। लॉकडाउन आगे न बढ़ जाए, इसलिए कई लोग अपने मूल प्रदेशों में लौट रहे हैं।


धौला कुआं में छत्तरपुर जाने के लिए बच्चों के साथ जा रहे एक परिवार के मुखिया ने बताया कि लॉकडाउन होने की वजह से उनकी पिछले चार दिनों से कोई काम नहीं है।

परिवार के खाने पीने और जरूरी खर्च हैं, लेकिन कमाई न होने की वजह से उधार लेकर घर जा रहे हैं। अगर, लॉकडाउन जल्दी खत्म हो जाता है तो लौटेंगे, नहीं तो वहीं काम कर परिवार का गुजारा करेंगे।

लॉकडाउन से बचने के लिए आसपास के शहरों का भी रुख कर रहे हैं कामगार
द्वारका सेक्टर-दो के बिंदापुर क्षेत्र से कापसहेड़ा बॉर्डर के लिए ऑटो की तलाश कर रहे युवक गौतम ने बताया कि गुरुग्राम या रेवाड़ी में लॉकडाउन नहीं है।

किसी जानकार के बुलाने पर 10 दोस्तों के साथ काम के सिलसिले में जा रहे हैं। हालात ठीक होने पर लौटेंगे। सिंटू ने बताया कि वह भी दिहाड़ी पर काम करते हैं, लेकिन दिल्ली में लॉकडाउन होने की वजह से पश्चिम बंगाल जाने के लिए पैसे नहीं हैं।

ऐसे में नजदीकी शहरों में ही काम के सिलसिले में जा रहे हैं। दिल्ली में रहने से फिलहाल कोई फायदा नहीं है इसलिए जा रहे हैं ताकि कमाई भी होती रहे। अगर, लॉकडाउन बढ़ाया जाता है तो जाने के लिए कमाई कर लेंगे।


पहचान पत्र न होने पर किराया पर बढ़ा खर्च


पहचान पत्र न होने की वजह से दिहाड़ी पर काम करने वाले श्रमिकों को बसों में नहीं बिठाया जा रहा है। कुछ कर्मी जो फैक्ट्री में काम करते हैं, उन्हें तो मौका मिल रहा है वर्ना ऑटो का सहारा है।

इस मौका का ऑटो चालक भी अधिक किराया वसूल रहे हैं। ऑटो अधिक और यात्री कम होने की वजह से धौला कुआं बस स्टॉप पर यात्रियों के पहुंचते ही एक साथ दो-तीन ऑटो चालक दौड़ जाते हैं ताकि उनकी कमाई हो सके। ऑटो, ई रिक्शा चालकों की भी कमाई 20 फीसदी से भी कम रह गई है, नतीजतन उन्हें भी एक बार फिर दोबारा लॉकडाउन से प्रभावित होने की चिंता सताने लगी है।

By admin

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