आज भी उनको याद करके आंखे नम हो जाती है

लखनऊ/बदायूँ (यूपी) : आज मरहूम सग़ीर अहमद ज़िंदा होते तो 87 बसन्त पूरे कर रहे होते, समाजवाद के अलंबरदार और समाजवाद को जीने वाले खांटी समाजवादी थे सगीर अहमद साहब, जिन्होंने समाजवाद को हिन्दुस्तान के विषमता भरे समाज को बदलने का एक मात्र ज़रिया बताया है, जिनका पहनावा, रहन-सहन और बातचीत समाजवादी दर्शन का प्रतिबिम्ब था, वह समता-मूलक समाज के पक्षधर व समर्थक भी थे.

सगीर साहब ने समाजवाद को नई दिशा प्रदान की, उनकी सोंच व समाजवादी विचार युवा पीढ़ी को दिशा प्रदान करते रहेंगे, सगीर अहमद ने सही मायने में समाजवाद को अपने जीवन का आधार बनाया, उन्होने बिना किसी लोभ, पद, सम्पत्ति के राजनीति में दूसरों के हक की लड़ाई को लड़ा, वह भारतीय समाजवादी आन्दोलन के ईमानदार सोशलिस्ट लीडर माने जाते रहेंगे.

सन् 1953 में सगीर साहब आचार्य नरेन्द्र देव से प्रभावित होकर समाजवादी युवजन सभा में शामिल हुए, समाजवादी आन्दोलन में डा राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, डा फरीदुल हक अन्सारी. चन्द्रशेखर पूर्व प्रधानमंत्री, एनडी तिवारी, मधुलिमये, बाबू त्रिलोकी सिंह, बाबू गेंदा सिंह, जार्ज फर्नाडिस, आदि समाजवादी नेताओं का उन्हें सानिध्य मिला, सगीर अहमद ने अपना पूरा जीवन सादगी व समाजवाद से प्रेरित होकर जिया, उन्होने अपनी ख्याति एक धर्म निर्पेक्ष नेता के रूप में बनायी.

सगीर अहमद जब तक जिए समाजवादी विचारधारा के प्रति समर्पित रहे, वह रिश्तों में अपनत्व को जीने वाले व्यक्ति थे, जैसे ऑक्सीजन के बिना जीवन संभव नहीं.
वैसे ही प्रेम व अपनत्व के बिना भी सामाजिक रिश्ते असंभव ही है, बदलते समय ने रिश्तों को निष्प्राण सा कर दिया है परंतु सगीर साहब उन रिश्तों की आत्मा थे, जो प्रेम व अपनत्व से सराबोर थी.

आज मरहूम सैय्यद सग़ीर अहमद के चाहने वालो का एक समागम उनकी 87वी यौमे-पैदाइश पर लखनऊ स्थित होटल मेज़बान में हुआ, जिसमे “सैय्यद सग़ीर का व्यक्तित्व और समाजवाद” पर एक सेमिनार ‘आल इंडिया माइनॉरटीज़ फेडरेशन’ के अध्यक्ष डॉ रईस अहमद खान साहब, पूर्व विधायक मुरादाबाद सौलत अली व गोरी शंकर राय स्मृति समिति के सचिव शिव कुमार राय द्वारा आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता उनके करीबी साथी वरिष्ठ सोशलिस्ट लीडर सरदार देवेंदर सिंह ने की और संचालन डॉक्टर अब्दुल क़ुद्दूस हाश्मी और सौलत अली ने व धन्यवाद् ज्ञापन डॉक्टर मुहम्मद रईस खान ने किया.

सेमिनार में आए अतिथिगण व मरहूम के साथियों में सर्वप्रथम बाराबंकी के गांधी व विचारो से लोहिया, भाई समान सग़ीर साहब के बेहतरीन साथी राजनाथ शर्मा ने अपने विचार रखे, उनके साथी ही टीपी शुक्ला पूर्व विधायक सहजनवा-गोरखपुर, ज़फर अली नक़वी पूर्व मंत्री/सांसद लखीमपुरखीरी. यशवंत सिंह एमएलसी बीजेपी, खान मोहम्मद आतिफ पूर्व विधायक, दाऊद अहमद पूर्व सांसद/विधायक-धोरारह, सतीश राय एडवोकेट हाईकोर्ट, बीडी नक़वी सेवानिवृत्त न्यायधीश, धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार व सम्पदाक ‘अभी उम्मीद ज़िंदा है’, दीपक मिश्रा नेता प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया व अध्यक्ष बौद्धिक सभा, डॉ सुल्तान शाकिर हाशमी कवि व पत्रकार.

इनके अलावा फकरे अहमद शोबी वरिष्ठ नेता सपा बदायूँ, एम ए हसीब एडवोकेट, अज़रा मुबीन, सच्चिनान्द राय, बाबर नक़वी वरिष्ठ पत्रकार, हसन गुर्जर, शुएब नक़वी आग़ा अध्यक्ष सपा सहसवान बदायूं ने सैय्यद सग़ीर अहमद को श्रद्धांजिली अर्पित कर उनके व्यक्तित्व और समाजवाद पर अपनी बात रखते हुए कहा कि सग़ीर साहब का ऐसा व्यक्तित्व जिसने राजनीति से कुछ नहीं लिया बल्कि सब को दिया, उन्होंने सियासत कभी लोभ व सत्ता के लिए कभी नहीं की, जबकि वो पूर्व प्रधानमंत्री स्व चन्द्रशेखर के बहुत क़रीब रहे, वो हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक थे, उनके चाहने वाले विभिन्न धर्मों व सम्प्रदायों से थे, सग़ीर साहब पूर्व नहीं बल्कि अभूत पूर्व व्यक्तित्व के मालिक थे और रवादारी में यकीन रखते थे, वो बदायूं से थे जहाँ इल्म और रूहानियत शहर की तहज़ीब में थी और जो सैय्यद सग़ीर साहब के व्यक्तित्व में दिखाई भी देता था.

सेमिनार में वक्ताओं ने समाजवाद के दो महान विचारकों, आचार्य नरेंद्र देव व डॉ राम मनोहर लोहिया पर भी बात की, उन्होंने समाजवाद को परिभाषित करते हुए कहा कि जब तक सड़क गरम नही की जायेगी तब तक संसद गरम नहीं हो सकती, आज के सियासतदाँ ईडी और सीबीआई के डर से जनता की आवाज़ उठाने से बच रहे हैं, लेकिन जनता स्वंय अपनी लड़ाई भी लड़ सकती है जैसा की किसान आंदोलन से प्रतीत है, समाजवाद उसी वक्त ज़िंदा रहेगा जब हम जनता के अधिकारों और उन पर हो रहे अन्याय की लड़ाई सड़कों पर नहीं लड़ेंगे जैसा की लोहिया के विचार थे.

कार्यक्रम में सग़ीर अहमद के तमाम चाहने वाले मौजूद रहे और मरहूम सग़ीर की शख्सियत व समाजवाद पर व्यापक चर्चा करते हुए अपने-अपने तरीके से विचार व्यक्त कर मरहूम को उनकी यौमे-पैदाइश पर सच्ची ख़िराज ए आख़िदत पेश कर याद किया.

ब्यूरो रिपोर्ट, लखनऊ/बदायूँ।

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