sarkar rozgar ko le kar kuch bhi jhoot bole hindi pradesh ka yuva sahi manega

क्या भारत सरकार बता सकती है कि इस वक्त कौन सा ऐसा एयरपोर्ट है जिसके चालू होने के बाद साढ़े पांच लाख लोगों को रोज़गार मिल रहा है?

सरकार इस तरह के आंकड़ों पर कैसे पहुंचती है? कैसे पता करती है कि संख्या साढ़े पांच लाख होगी?

क्या इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के कारण साढ़े पांच लाख लोगों को रोज़गार मिला है?

एयरपोर्ट पर काम करने वाले स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों की संख्या कितनी है?

सरकार जब भी कोई प्रोजेक्ट लांच करती है, रोज़गार को लेकर बड़े-बड़े दावे कर देती है लेकिन बाद में नहीं बताती कि जितना कहा था उतना रोज़गार पैदा हुआ या नहीं।

2016 में टेक्सटाइल सेक्टर के लिए 6000 करोड़ के पैकेज की घोषणा हुई। बताया गया कि तीन साल में इस पैकेज से एक करोड़ रोज़गार पैदा होंगे। 2021 आ गया है कोई हिसाब नहीं दिया गया कि कितने रोज़गार पैदा हुए।

2021 के अगस्त में टेक्सटाइल सेक्टर के लिए फिर से 10,683 करोड़ के पैकेज के एलान के लिए कई मंत्री प्रेस कांफ्रेंस में आए। मंत्रियों ने कहा कि इस पैकेज से साढ़े सात लाख रोज़गार पैदा होंगे और कुछ और लाख।

9 सितंबर के प्राइम टाइम में हमने पूछा था कि किस हिसाब से 10,683 करोड़ के पैकेज से सिर्फ साढ़े सात लाख और कुछ लाख रोज़गार पैदा होता है? 2016 में तो 6000 करोड़ के पैकेज से 1 करोड़ रोज़गार पैदा हो रहा था। ज़्यादा बजट से कम रोज़गार और कम बजट से ज़्यादा रोज़गार ?

विपक्ष के सांसद ने जब संसद में जब सरकार से टेक्सटाइल सेक्टर को लेकर जवाब पूछा तब सरकार का एक आधिकारिक जवाब है। सूरत से सांसद और कपड़ा राज्य मंत्री दर्शना जारदोश छह अगस्त को जवाब देती हैं कि सरकार टेक्सटाइल सेक्टर में रोज़गार के इस तरह के लक्ष्य निर्धारित नहीं करती है।

इस जवाब के कुछ ही दिन बाद प्रेस कांफ्रेंस में मंत्री ही डेटा बता रहे थे कि सात लाख रोज़गार पैदा होगा।

हिन्दी प्रदेश के युवा धर्म और जाति में व्यस्त न होते तो किसी सरकार के लिए पब्लिक में झूठ बोलना आसान नहीं होता लेकिन जब लोगों ने ही तय कर लिया है कि हम झूठ ही स्वीकार करेंगे
तो कोई क्या कर सकता है।

जिस सरकार ने रोज़गार के आंकड़ों का कोई सिस्टम नहीं बनाया, जो पहले से था उसे कमज़ोर कर दिया वह सरकार जो मन में आता है रोज़गार के आंकड़े दे देती है। ग्रेटर नोएडा में बन रहे एयरपोर्ट से साढ़े पांच लाख रोज़गार मिलेगा। इस तरह की सूचनाएं आधिकारिक या अनधिकारिक रुप से ख़बरों में ठेल दी जाएंगी ताकि गोबर बन कर ये दिमाग़ में भर जाएं।

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रविश कुमार

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