1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत हुई. मकसद था देश के उन सभी परिवारों को सुरक्षित, स्वच्छ रसोई ईंधन (LPG Cylinder) आवंटित करना जो आज भी पुराने, असुरक्षित व प्रदूषित ईंधन का प्रयोग खाना बनाने के लिए करते हैं.
सरकार APLऔर BPL राशन कार्ड धारक महिलाओं को घरेलू रसोई गैस उपलब्ध करा रही है. अक्सर देखा गया है कि पहले रिफिल के बाद ये सिलेंडर बेकार ही पड़े रहते हैं. लेकिन भिंड से जो तस्वीरें आई हैं वो योजना की प्रासंगिकता को लेकर गंभीर सवाल उठा रही हैं.
ये हालात उस राज्य में हैं जहां प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत मध्यप्रदेश के जबलपुर से गृहमंत्री अमित शाह ने की थी.
भिंड में उज्जवला के सिलेंडर कबाड़ में बिकने लगे हैं, योजना के साथ जो चूल्हा मिला था वो भी भूसे के ढेर के बीच कबाड़ में पड़ा है. योजना के लाभार्थी वापस गोबर के कंडे और लकड़ी जलाकर चूल्हा सुलगा रहे हैं. करें भी तो क्या. सिलेंडर के दाम 925 से 1050 रुपये के आसपास हैं, जो इनकी पहुंच से दूर हैं.
लाभार्थी कह रहे हैं कि सिलेंडर भरवा नहीं पा रहे हैं, 4-4 बच्चे हैं, मजदूरी करते हैं, कहां से भरवाएं सिलेंडर. वहीं सिलेंडर सप्लाई करने वाले ड्राइवर बताते हैं कि सिलेंडर इतना महंगा हो गया, उस चक्कर में ग्राहक लेने नहीं आ पाते हैं, क्योंकि पैसे की व्यवस्था ही नहीं हो पाती.
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