Famous musician duo Nadeem-Shravan no longer listened to

नब्बे के दशक में हम नदीम-श्रवण की धुनों पर जवान हो रहे थे। गीतकार समीर के साथ इनकी जोड़ी ने हमारी युवावस्था को कमाल की लय में तैरना सिखाया। दीवाना, आशिक़ी, दिल है कि मानता नहीं, फूल और कांटे, सड़क, जान तेरे नाम, बलमा, साजन…

कितनी फ़िल्मों के नाम गिनाएं – सोते जागते इन फ़िल्मों के गाने हमारी देह के तमाम तंतुओं को भिगोये रखते थे। गुलशन कुमार हत्याकांड के बाद नदीम ने देश छोड़ दिया, उसके बाद से हम भी दुनियावी हक़ीक़त में उलझते चले गये। बाद में कुछ सालों बाद जब दोनों फिर से साथ आये, तब तक संगीत के और भी दरवाज़े हमारे सामने खुल गये थे।

बाद में हमने समीर को सामने से देखा। उन्हें बोलते हुए सुना। नदीम और श्रवण के बारे में अलग अलग आने वाली ख़बरें पढ़ते रहे। कल जब श्रवण जी के निधन की सूचना मिली, तब लगा कि अपने ही व्यक्तित्व का एक हिस्सा ग़ुम हो गया है।

बहरहाल, पता ये चला कि श्रवण जी हरिद्वार कुंभ से वापस लौट कर कोरोना पॉजिटिव हुए और एसएल रहेजा अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांसें लीं। लेकिन इसके बाद जो पता चला, वह भयावह है। श्रवण जी की डेडबॉडी को लगभग दस लाख के बिल के लिए अस्पताल ने होल्ड पर रख लिया है। एसएल रहेजा अस्पताल ने बीमा पॉलिसी होने के बाद भी परिवार को बिल का भुगतान करने के लिए कहा। अस्पताल ने कहा कि दस लाख के बिल का भुगतान करें, तभी बॉडी ले जा पाएंगे।

ये है नया भारत। दरअसल, उन्हें धर्म ने मार दिया और प्राइवेटाइजेशन ने उनकी बॉडी ज़ब्त कर ली। अभी तक जानकारी नहीं मिल पायी है कि उनकी बॉडी परिवार वालों को सौंपी गयी है या नहीं।

इस नये भारत को हज़ार हज़ार लानत के साथ श्रवण जी को हम अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

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