मुंबई हमले के समय शिवराज पाटिल देश के गृह मंत्री थे, वो हमले के तुरंत बाद मुंबई पहुँचे और ज़िंदगी की सबसे बड़ी ग़लती कर बैठे । उन्होंने ताज होटल ( हमले की जगह ) पर जो कपड़े पहन रखे थे , बाद में प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के समय दूसरे कपड़े पहन लिए ।

एक हंगामा बरपा हो गया । देश पर आतंकवादी हमला हुआ और गृह मंत्री कपड़े बदलने में लगा है । हंगामा इतना बढ़ा कि गृह मंत्री को कपड़े बदलने के जुर्म में इस्तीफ़ा देना पड़ा ।

विलासराव देशमुख उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे । वो ताज होटल गए तो उनके साथ फ़िल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा भी वहाँ पहुँच गए । मीडिया ने प्रचारित कर दिया कि राम गोपाल वर्मा मुंबई हमले पर फ़िल्म बनाने जा रहे हैं और महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री इसीलिए उन्हें अपने साथ ताज होटल लाए थे।

विपक्ष और मीडिया को मौक़ा मिल गया । देश सदमे में है और मुख्यमंत्री अपने बेटे के दोस्तों को ताज होटल घुमा रहा है जिससे वो वहाँ की बर्बादी को अपनी आँखो में क़ैद करके उस पर फ़िल्म बना सके । हंगामा हुआ और फ़िल्म निर्माता के साथ तक होटल आने के जुर्म में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को इस्तीफ़ा देना पड़ा ।

अब अच्छे दिन चल रहे हैं । पुलवामा अटैक के समय प्रधानमंत्री खुद फ़िल्म की शूटिंग करते रहे थे , फिर भी मीडिया या जनता ने उनसे कोई सवाल नहीं किया । अब छत्तीसगढ़ में हुए नक्सल हमले के बाद गृह मंत्री चुनावी सभाओं में व्यस्त हैं , फिर भी मीडिया उनसे सवाल नहीं पूछ रही है , जनता उनसे नाराज़ नहीं दिख रही है , ऐसा क्यों है ??

जनता नाराज़ है लेकिन उसकी नाराज़गी ना तो मीडिया दिखाता है और ना ही उसकी नाराज़गी चुनाव में EVM दिखने देती है ।

मीडिया और EVM ने सरकार के दिल से जनता का डर ख़त्म कर दिया है ।
इब्न-ए-आदम

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