भारत में साइंटिफ़िक उपचार के साथ-साथ दादी-नानी के ‘घरेलू नुस्खे’ भी बड़ी मात्रा अपनाए जाते हैं. सर्दी, खांसी, ज़ुकाम हो या फिर सिर दर्द, पेट दर्द, आंख दर्द या फिर कान दर्द इन सभी का शुरूआती इलाज़ भी घरेलू नुस्खों से ही किया जाता है.
भारत में लगभग हर घर में ‘घरेलू नुस्खे’ अपनाए जाते हैं. इन घरेलू नुस्खों को डॉक्टर्स भी बेहद कारगर मानते हैं.
अदरक और शहद के इस्तेमाल से कफ़ ग़ायब
अदरक से बनी 1 कप चाय सिरदर्द में अमृत का काम करती है. इसके अलावा सर्दी, खांसी की समस्याओं को भी काफी हद तक अदरक ठीक करने में सहायक होता है. इतना ही नहीं अदरक कफ़ का सफ़ाया करने के लिए भी मशहूर है.
पानी में अदरक को उबालकर उसमें थोड़ा सा शहद डालकर पीने से कफ़ और गले से जुड़ी समस्याएं चुटकी में दूर हो जाती हैं.
मेडिकल साइंस क्या कहता है इस घरेलू नुस्खे के बारे में ?
अदरक में एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होता है, जो दर्द में आराम देता है. हड्डी रोग से जुड़ी बीमारियों जैसे गठिया और अर्थरायटिस के लिए शहद और अदरक का सेवन बेहद फायदेमंद माना जाता है. हालांकि, डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को इसे लेते समय थोड़ा ध्यान देना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादा शहद की मात्रा उनके लिए नुकसानदायक हो सकती है.
सरसों का तेल बनाता है अंदर से मज़बूत
भारत के ग्रामीण इलाक़ों में आज भी बड़ी मात्रा में सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है. ग्रामीण इलाक़ों में आज भी माताएं सरसों के तेल से ही अपने बच्चे की मालिश करती हैं. इससे बच्चों की मांसपेशियों और हड्डियों का विकास होता है और वो मज़बूत बनती हैं.
सरसों के तेल की तासीर गर्म होती है. इससे शिशु की मालिश करने से उसके शरीर के छिद्र खुलते हैं और त्वचा कोमल बनी रहती है.
मेडिकल साइंस क्या सोचता है इस पर ?
सरसों के तेल में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फ़ैटी एसिड मौजूद होता है. इसके अलावा इसमें Vitamin E पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. सरसों के तेल में मौजूद विटामिन जैसे थियामाइन, फोलेट व नियासिन शरीर के मेटाबाल्जिम को बढ़ाते हैं, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है.
अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए सरसों का तेल खासतौर पर फायदेमंद होता है.
दूध में एक चुटकी हल्दी डाल कर पीने के फ़ायदे
अगर सबसे पुराने या फिर सबसे आम घरेलू उपचार का नाम लिया जायेगा, तो हल्दी वाले दूध का नाम सबसे ऊपर होगा. भारतीय माताएं आज भी अपने बच्चे को सोने से पहले हल्दी वाला दूध पिलाना नहीं भूलती हैं.
हल्दी को एंटीसेप्टिक की तरह भी इस्तेमाल किया जाता रहा है. किसी भी तरह की चोट या घाव पर हल्दी का मलहम लगाने से वो जल्दी ठीक हो जाता है.
इस पर मेडिकल साइंस क्या कहता है ?
हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो कि एक ज़बरदस्त एंटीऑक्सीडेंट है. यही वजह है कि ये इतने काम की चीज़ है. जब हम इसका सेवन करते हैं, तो ये शरीर के मुक्त पार्टिकल्स को ख़त्म करता है.
इसके फलस्वरूप हमारा इम्युनिटी सिस्टम मज़बूत होता है. इतना ही नहीं दूध में मिलने के बाद तो ये और भी फायदेमंद बन जाता है.
ज़ुकाम में ‘चिकन सूप’ काफ़ी लाभकारी माना जाता है.
‘चिकन सूप’ का नाम सुनते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है. ये एक ऐसा नुस्खा है जिसे चिकन पसंद करने वाले लोग खुले दिल से अपनाते हैं. साधारण कोल्ड या ज़ुकाम में ‘चिकन सूप’ काफ़ी लाभकारी माना जाता है.
यदि आपको कोल्ड के लक्षण दिखाई दें, तो आपका एक बाउल गरमा गरम ‘चिकन सूप’ पी लें, सेहत में सुधार आएगा. इतना ही नहीं ये गले की जलन को भी ठीक करता है. गरम चिकन सूप बॉडी को फिर से हाइड्रेट करने में भी मदद करता है.
क्या कहता है इसके बारे में मेडिकल साइंस ?
मेडिकल साइंस चिकन सूप बॉडी में न्युट्रोफिल्स (एक प्रकार का सफ़ेद सेल) के मूवमेंट को रोकता है. इससे कन्जैशन नहींं होता. ये जुकाम में सांस न ले पाने की दिक्कत को भी दूर करता है.
हालांकि, ध्यान रहे कि अगर 36 घंटे बाद भी इन लक्षणों में कोई बदलाव नहींं होता, तो, डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें.