Supreme Court does not trust the government's vaccine campaign asked for the complete file

टीका अभियान को लेकर सारा प्रोपेगैंडा ध्वस्त हो चुका है। टीका प्रमाण पत्र पर अपना फ़ोटो चमका कर और एक जटिल प्रक्रिया बनाकर मोदी सरकार को लगा कि लोगों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा। कि मोदी जी ने बड़ा इंतज़ाम किया है।

टीका लेने जाइये तो पुलिस होगी। एक कमरे में आधार कार्ड देखेगा। फिर कंप्यूटर में डेटा भरेगा।फिर इंजेक्शन देगा। फिर एक मैसेज आ जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया को देखें तो आम आदमी के ज़हन में सरकार की छवि और धमक बनाने की कोशिश से ज़्यादा नहीं है। टीका लेकर आने वाले को लगे कि साधारण बात नहीं हुई है। इतना सारा इंतज़ाम है।

एक सर्टिफिकेट भी मिला है जिसमें प्रधानमंत्री का फोटा है।अमरिका में इतनी जल्दी टीका दुकान दुकान में मिलने लगा है ।आप किसी भी दवा की दुकान में जाइये और टीका ले लीजिए। एक प्रमाण पत्र मिलेगा जो एक साधारण सा कार्ड होता है। उस पर किसी का फ़ोटो नहीं होता है। बिना फोटोबाज़ी के अमरीका ने अपने नागरिकों का जीवन बेहतर तरीक़े से सुरक्षित किया है।

corona vaccination in india
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भारत में मोदी जी फोटोबाज़ी में ही व्यस्त रहे। एक ग़लत धारणा फैलाई गई कि दुनिया का सबसे बड़ा टीका अभियान चल रहा है। भारत आबादी के लिहाज़ से दूसरा बड़ा देश है। तो हमारा कोई भी अभियान दुनिया का पहला या दूसरा बड़ा अभियान होगा ही।

मगर हुआ क्या? क्या यही दुनिया का सबसे बड़ा अभियान है कि टीका नहीं है। टीके को लेकर सामान्य बातें भी रहस्य बनी हुई हैं ।सरकार जवाब नहीं दे पाती है कि कब आर्डर किया। कितना आर्डर किया।

किसे पैसा दिया। इन सवालों को भटकाने के लिए कई तरह के मंत्रियों को लगाकर इतना बयान छितरा दे रही है कि उनके बीच से सही तथ्य को खोज लेना भी असंभव सा काम है।

नतीजा हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को पहली नज़र में सरकार के टीका अभियान को लेकर संदेह हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सारी फ़ाइलें माँग ली है। देखना है कि सरकार न देने के तमाम रास्ते निकालती है या मूल दस्तावेज़ अदालत को सौंपती है।

यही नहीं 18-44 साल के लोगों का टीका राज्यों के हाल पर छोड़ दिया गया है। राज्य अब एकजुट होने लगे हैं । बीजेपी के राज्य सत्य को देखते हुए भी चुप हैं। लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने सरकार की बोगसबाज़ी पकड़ ली है।

corona vaccination in india
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राज्य सरकार ने अपने हलफ़नामे में कहा है कि तीन करोड़ डोज़ का आर्डर दिया है लेकिन जिसे आर्डर दिया है उसने नहीं बताया है कि कब सप्लाई करेंगे। इस बात को पढ़ कर कोई भी आदमी समझ सकता है कि फर्ज़ीवाड़ा है।

आप पैसा देते हैं। आर्डर देते हैं। तारीख़ तो पूछते ही हैं कि कब माल आएगा। इस आधार पर आपकी ज़िंदगी से खिलवाड़ हो रहा है।

वैसे क्या आप जानते हैं कि किस भारत वैज्ञानिक ने टीके की खोज की है? मोदी जी ने कई बार नाम लिया कि भारत के वैज्ञानिकों ने टीके की खोज की है। कहीं मीडिया में चेहरा तक नहीं दिखाई देता है।

आख़िर हम अपने उन महान वैज्ञानिकों के बारे में क्यों नहीं जान पा रहे हैं जिन्होंने भारत में टीके की खोज की? टीका अभियान को लेकर केवल सर्टिफिकेट पर मोदी जी का चेहरा क्यों है? क्या यह अच्छा नहीं होता कि टीका अभियान के सर्टिफिकेट पर किसी वैज्ञानिक का चेहरा होता? पहले आप नाम तो जान जाइये।

सोर्स- रविश कुमार

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