दिल्ली मे कोरोना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है रोडों पर शव ही दिखाई दे रहे है शमशान और कब्रिस्तान मे टोकन बात रहे है। इस महामारी से इतने लोग नहीं मारे जीतने लोग अस्पतालों मे oxygen की कमी से मर गए और ये सिलसिला अभी भी जारी है और मीडिया और राज़ नेता अभी भी अपने राजा जी छवि सुधारने मे लगे है.

आम लोगों की ज़िंदगी से राजनीति तमाशे का खेल खेल रही है। अब कब आप लोग जनता बनेंगे। कब तक पार्टी का समर्थक बने रहेंगे। दिल्ली के बत्रा अस्पताल में आठ लोगों की मौत इसलिए हो गई कि आक्सीजन नहीं था। यह कैसा समाज है, किसका देश है यह। यह तमाशा कब तक चलेगा। जो मरे हैं क्या वो एक पार्टी के रहें होंगे?
क्या इसकी माफ़ी दी जा सकती है कि आक्सीजन की कमी के चलते 8 लोगों की मौत हो गई? क्या वो परिवार कभी इस सदमे से उबर पाएगा? भयानक है यह तो। किसके लिए लिखा जाए और किससे बोला जाए। राजनीति निर्लज्ज हो चुकी है। कई दिनों से कोर्ट में दिल्ली और केंद्र के बीच बहस चल रही है। आक्सीजन का कोटा और कोटे के हिसाब से आक्सीजन के न मिलने को लेकर। कोर्ट में बहस चलती रही और आठ लोग मर गए। आम लोग कहां जाए। किस पर भरोसा करे।