उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत तीन दिन से दिल्ली में हैं. न किसी ने मिल रहे हैं और न ही बाहर निकल रहे हैं, हालांकि जिस दिन आए उसी रात गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात हो गई थी. अगले दिन देहरादून वापसी का कार्यक्रम था जो अचानक टल गया जिसके बाद से अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया है.
वह मुख्यमंत्री रहते हैं या नहीं, ये चुनाव आयोग पर निर्भर करेगा. सवाल उठ रहे हैं कि क्या तीरथ सिंह रावत पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं? क्या ये फिर से सत्ता परिवर्तन की आहट तो नहीं है? दरअसल, तीरथ सिंह रावत अभी सांसद हैं और मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के छह महीने के अंदर यानी 10 सितंबर तक उनका विधायक बनना ज़रूरी है.
अब दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसे लेकर तीरथ सिंह रावत दिल्ली आए थे हालांकि कोरोना को लेकर फ़िलहाल उपचुनाव पर चुनाव आयोग की रोक है, जिसके चलते तीरथ सिंह रावत की कुर्सी ख़तरे में लग रही है. साथ ही पार्टी अभी ये तय नहीं कर पाई है कि तीरथ सिंह रावत कहां से उपचुनाव लड़ेंगे.
ये भी खबर है कि सतपाल महाराज और धन सिंह रावत जैसे दिग्गज नेता भी मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए आलाकमान पर दबाव बना रहे हैं?