कोरोना महामारी का भारत में इस वक़्त भयंकर रूप देखने को मिल रहा है. हर रोज़ लोग अपनों को दम तोड़ता देख रहे हैं. हालत ये है कि ज़िंदा को अस्पताल और मुर्दे को श्मशान तक नसीब नहीं है.
उस पर से इंतिहा ये है कि कोरोना महामारी के डर से लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी ऐसी ही स्थिति है.
हालांकि, यहां दानिश सिद्दीकी और सद्दाम कुरैशी जैसे दो युवक मौजूद हैं, जिन्होंने कोरोना के डर को इंसानियत के जज़्बे से मात देने का हौसला दिखाया है.
भोपाल के रहने वाले दोनों मुस्लिम युवक अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना से मरने वाले हिंदू शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.दानिश और सद्दाम ने अब तक कोरोना से मरने वाले 60 हिंदुओं का अंतिम संस्कार किया है.
ये वो लोग हैं, जिनके परिवार वाले संक्रमण के डर से नहीं आ रहे या फिर कोरोना नियमों के चलते श्मशान पर अंतिम संस्कार करने नहीं पहुंच पाते हैं.
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दोनों पिछले कुछ दिनों से दिन-रात इसी काम में लगे हैं. यहां तक कि रमज़ान में रोज़ा रखने के बावजूद वो सुबह से अस्पतालों और श्मशानों के चक्कर लगा रहे हैं. वो बिना जाति, धर्म देखे हर शव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.