trump ke baad biden ke samne bhi godi media ko le kar apmanit hona pada pm modi ko

“मुझे लगता है कि वे प्रेस को यहां लाने जा रहे हैं। भारतीय प्रेस अमरीकी प्रेस की तुलना में कहीं ज़्यादा शालीन है। मैं सोचता हूं, आपकी अनुमति से भी, हमें सवालों के जवाब नहीं देने चाहिए क्योंकि वे बिन्दु पर सवाल नहीं करेंगे”

इस कथन को ध्यान से पढ़िए।इसके ज़रिए अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारतीय मीडिया के शर्मनाक पक्ष को उजागर करने के साथ-साथ भारत के प्रधानमंत्री को भी अपमानित कर दिया। जिस गोदी मीडिया को तैयार करने में प्रधानमंत्री मोदी ने सात साल मेहनत की है, उसे लेकर उन्हें कहीं बधाई तो नहीं मिलेगी।

मैंने पहले भी कहा कि आप दुनिया के किसी भी मंच पर भारत में बने लड्डू से लेकर लिट्टी तक का शान से प्रदर्शन कर सकते हैं लेकिन गोदी मीडिया को लेकर नहीं कर सकते। गोदी मीडिया मोदी सरकार द्वारा पोषित एक राष्ट्रीय शर्म है। सबको पता है कि भारत का मीडिया ग़ुलाम हो चुका है।

सबसे दुखद बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने बाइडन की इस बात पर तुरंत हां में हां मिला दिया। वे भारतीय प्रेस का बचाव नहीं कर सके। सवालों से अपने लिए सुरक्षा के बदले उन्होंने इस अपमान को स्वीकार कर लिया। बाइडन ने भारतीय मीडिया की तारीफ नहीं कि बल्कि उसकी ग़ुलामी और बदमाशी को इस तरह से कह दिया कि सुना है आपका लड़का बहुत अच्छा है।

काफी चर्चे हैं उसके। मजबूरी में पिता इस तारीफ़ को स्वीकार कर लेता है ताकि बात यहीं पर ख़त्म हो जाए और किस बात के चर्चे हैं, उसकी चर्चा न शुरू हो जाए।

किसी प्रेस को सभ्य और शालीन कहे जाने का यही मतलब है कि गोदी मीडिया हो चुके भारतीय प्रेस का सवालों से क्या लेना देना और यह तो बैठक से बाहर किए जाने पर ऐतराज़ भी नहीं करेगा। बाइडन ने बता दिया कि मोदी ख़ुद को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेता कहते हैं लेकिन कभी अमरीकी प्रेस का सामना करके देखिए।

मोदी ने चुनौती स्वीकार नहीं की। यह क्षण भारत की विदेश नीति से संबंधित घटनाओं का सबसे शर्मनाक क्षण है। मैं गोदी मीडिया का आलोचक हूं, फिर भी मैं मानता हूं कि इस मीडिया की आलोचना के ज़रिए बाइडन ने भारत के प्रधानमंत्री का अपमान किया और प्रधानमंत्री मोदी ने उसे स्वीकार किया।

यह टिप्पणी दुनिया के मंच पर भारत की गरिमा को चोट पहुंचाती है। यह ख़ुश होने वाली बात नहीं है। बशर्ते भारत ने तय कर लिया है कि अब अपमान को ही सम्मान की तरह लिया जाएगा।

बाइडन ने प्रधानमंत्री के उस भय को उजागर भी कर दिया कि प्रेस इस बैठक के अलावा भी कुछ पूछ सकता है।अगर प्रधानमंत्री मोदी में आत्मविश्वास होता तो कहते कि आने दीजिए प्रेस को।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं कह सके कि भारत का मीडिया छक्के छुड़ा देता है।

यह अमरीकी प्रेस से कहीं ज़्यादा मुखर और स्वतंत्र है। कैसे कह देते? गोदी मीडिया को झूठ की मशीन बनाने का सच वही आदमी कैसे कह दे जिसने उसे झूठ की मशीन में बदला है। बाइडन-मोदी की बीस मिनट की बैठक अगर ऐतिहासिक टाइप थी तो प्रेस दो चार सवाल कर लेता तो क्या हो जाता। यह भी तय हो सकता था कि सवाल जवाब केवल बैठक से संबंधित होता। नेता ऐसा करते भी हैं और यह स्वीकृत भी है।

अमरीका ने अपनी तरफ से प्रेस को बाहर नहीं किया होगा।अवश्य ही भारत की तरफ से प्रयास हुआ होगा कि प्रधानमंत्री मोदी को प्रेस से दूर रखना है।क्या इस यात्रा के पहले अंदरखाने होने वाली तैयारियों के दौरान इन बातों से भारत की प्रतिष्ठा धूमिल नहीं हुई होगी, कि इतने बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री आ रहे हैं और अधिकारी इस जुगाड़ में लगे हैं कि किसी तरह उन्हें प्रेस के सवालों से सुरक्षित किया जाए।

द वायर ने लिखा है कि बीस मिनट की इस बैठक में कोई सवाल-जवाब नहीं हुआ। इसका फैसला पहले ही हो चुका था कि प्रेस नहीं होगा। बाइडन ने अपने तरीके से यह बात सार्वजनिक कर दी। वरना विश्व गुरु भारत के प्रधानमंत्री कह सकते थे कि आने दीजिए प्रेस को, उन्हें दिक्कत नहीं है।2015 में लंदन में डेविड कैमरुन और प्रधानमंत्री मोदी ने सवाल जवाब का सामना किया था,

उसके बाद से प्रधानमंत्री मोदी ने कभी भी ऐसी प्रेस कांफ्रेंस के लिए हां नहीं कहा जिसमें सवाल पहले से तय न हों। मोदी विदेशों में भी प्रेस का सामना नहीं कर पाते हैं। भारत में सात साल से प्रेस कांफ्रेंस नहीं की है।

इसी तरह 2019 में पूर्ववर्ती राष्ट्रपति ट्रंप ने एक भारतीय पत्रकार के सवाल के जवाब में कह दिया था कि “आपके पास तो महान रिपोर्टर हैं। काश मेरे पास भी ऐसे रिपोर्टर होते। मैंने सुना है कि आप किसी से भी बेहतर कर रहे हैं। आपको…

Source Ravish Kumar (NDTV)

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