भारत का खेल इतिहास दिलचस्प और प्रेरणादायक कहानियों से भरा पड़ा है हम आपको भारत के फ़ुटबॉल इतिहास के उस शख़्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आधुनिक भारतीय फ़ुटबॉल का ‘आर्किटेक्ट’ कहा जाता है. आइये, जानते हैं सैयद अब्दुल रहीम के बारे में, जिसने कैंसर से जूझते हुए भारत को दिलाया था गोल्ड मेडल.
सैयद अब्दुल रहीम
सैयद अब्दुल रहीम एक फ़ुटबॉल कोच और इंडियन नेशनल टीम के मैनेजर थे. सैयद अब्दुल रहीम को रहीम साहब के नाम से भी जाना जाता था.
उनका जन्म ब्रिटिश काल के दौरान के भारत के हैदराबाद शहर में 17 अगस्त 1909 में हुआ था. शुरुआती दिनों में वो सीटी कॉलेज ऑफॉ हैदराबाद की “Eleven Hunters” टीम के सदस्य थे.
अपनी आर्ट्स की डिग्री पूरी करने के बाद वो एक शिक्षक के रूप में कॉलेज आए. वहीं, उन्होंने कई अलग-अलग स्कूलों में शिक्षक के रूप में काम किया.
उन्होंने Physical Education में डिप्लोमा भी किया था. 1943 में सैयद अब्दुल रहीम को Hyderabad Football Association का सचिव चुना गया था. वहीं, उन्हें Hyderabad City Police Team का कोच भी बनाया गया था.
सैयद अब्दुल रहीम की फ़िटनेस और टेक्निकल ट्रेनिंग
सैयद अब्दुल रहीम की देखरेख में भारतीय टीम ऊंचाइयां हासिल कर रही थी. ये सब अब्दुल रहीम की दी गई फ़िटनेस और टेक्निकल ट्रेनिंग का ही कमाल था.
उन्हें 1949 में भारतीय टीम को ट्रेन करने का मौका मिला था. अब्दुल रहीम ने एक और एतिहासिक काम किया भारतीय टीम को 4-2-4 का फ़ॉर्मेशन देकर.
इसका मतलब होता है 4 बैक, 2 हॉफ़ बैक और 4 फ़ॉरवॉर्ड. ये फ़ॉर्मेशन ब्राज़िल ने बाद में अपनाया था. अब्दुल रहीम ने कई ख़ास तकनीक भारतीय टीम को सिखाई.
कैसे मिला गोल्ड मेडल ?
Indian football coach Syed Abdul Rahim के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय टीम ने 1951 में दिल्ली में हुए एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता था. वहीं, इसके चार साल बाद 1956 में मेलबर्न में हुए Summer Olympics में भारतीय टीम को सेमी फ़ाइनल में खेलने का मौक़ा मिला था.
इस तरह भारतीय टीम ऐशिया की पहली ऐसी टीम बनी जिसे ये मौका मिला.अब्दुल रहीम की कोचिंग के दौरान भारतीय फ़ुटबॉल टीम स्वर्णिम युग से गुज़र रही थी.
उनकी कोचिंग का जलवा 1962 के जकार्ता के एशियाई खेलों में दिखाई दिया. भारत ने फ़ाइनल उस वक़्त की मज़बूत टीमों में से एक दक्षिण कोरिया से हुआ.
जानकर हैरानी होगी कि उस वक़्त टीम के दो प्लेयर घायल थे और गोलकीपर बीमार. लेकिन, ये रहीम ही थे जिनके भरोसे पर घायल खिलाड़ी भी उठकर खड़े हो गए. भारत ने ये मैच जीता और गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
कैंसर से जूझ रहे थे सैयद अब्दुल रहीम
Indian football coach Syed Abdul Rahim: 1962 में जब जकार्ता में Asian Games चल रहे थे अब्दुल रहीम कैंसर से लड़ रहे थे, लेकिन उनके अंदर भारत को गोल्ड मेडल दिलाने का जुनून सवार था.
उन्होंने जो चाहा वो पूरा हुआ और भारत ने अपने नाम गोल्ड मेडल किया, लेकिन अगले साल यानी 1963 में उनकी कैंसर से मौत हो गई. जानकारी के अनुसार, उन्हें Lung Cancer था.