राजद्रोह की IPC की 124 A की चुनौती देने की नई याचिका के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर बड़ा सवाल किया है. CJI एनवी रमना ने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल अंग्रेजों ने किया था क्यूंकी उनको आजादी का अभियान दबाना था, असहमति की आवाज को चुप करने के लिए किया था.
महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक पर भी ये धारा लगाई गई, क्या सरकार आजादी के 75 साल भी इस कानून को बनाए रखना चाहती है? SC ने कहा कि इसके अलावा राजद्रोह के मामलों में सजा भी बहुत कम होती है. CJI ने कहा कि और इन मामलों में अफसरों की कोई जवाबदेही भी नहीं है.
प्रधान न्यायाधीश ने अटार्नी जनरल से कहा कि धारा 66A को ही ले लीजिए, उसके रद्द किए जाने के बाद भी हज़ारों मुकदमें दर्ज किए गए. हमारी चिंता कानून का दुरुपयोग है. सुनवाई के दौरान CJI एनवी रमना ने कहा कि सरकार पुराने कानूनों को क़ानून की किताबों से निकाल रही है तो इस कानून को हटाने विचार क्यों नहीं किया गया?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राजद्रोह कानून की वैधता का परीक्षण करेगा. मामले में केंद्र को नोटिस दिया गया तथा अन्य याचिकाओं के साथ इसकी सुनवाई होगी. SC ने कहा कि राजद्रोह कानून संस्थाओं के कामकाज के लिए गंभीर खतरा है. CJI रमना ने कहा कि राजद्रोह का इस्तेमाल बढ़ई को लकड़ी का टुकड़ा काटने के लिए आरी देने जैसा है और वह इसका इस्तेमाल पूरे जंगल को काटने के लिए करता है.
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