भारत में आज भी अगर शादी से पहले किसी का बच्चा हो गया, तो उस बच्चे को ‘नाजायज़ औलाद‘ कहकर संबोधित किया जाता है. समाज ऐसे कपल, ख़ासकर महिलाओं को नीची नज़रों से देखता है. मानो जैसे उन्होंने कोई गुनाह कर दिया हो. आज भी भारत की लगभग 95 प्रतिशत आबादी शादी से पहले किए गए बच्चे को स्वीकार नहीं करती है.
सलाम नमस्ते
सलाम नमस्ते फ़िल्म में सैफ़ अली ख़ान को प्रीति ज़िंटा से प्यार हो जाता है. वो अंबर को अपने साथ लिव-इन में रहने के लिए मनाता है और फिर वो दोनों साथ में रहने लगते हैं.
स्थितियां तब बदलती हैं, जब अंबर प्रेग्नेंट हो जाती है. इस बदलाव से कपल के बीच भी काफ़ी कुछ चेंज हो जाता है.
मिमी
ये फ़िल्म मराठी मूवी ‘Mala Aai Vhhaych‘ की रीमेक है. ये फ़िल्म एक सरोगेट मां के बारे में है, जो बच्चे को जन्म देने और उसकी परवरिश अकेले करने का फ़ैसला तब करती है, जब उसके बायलॉजिकल पेरेंट्स बच्चे के ‘डाउन सिंड्रोम’ होने का पता चलने के बाद विदेश भाग जाते हैं.
बदनाम गली
ये फ़िल्म एक सरोगेट मदर की जर्नी को दिखाती है, जिसके कैरेक्टर पर हमेशा सवाल खड़े किए जाते हैं. हालांकि, उसे पता होता है कि उसे क्या चाहिए और वो समाज की परवाह किए बगैर वही करती है, जो उसे करना होता है.
मुझे इंसाफ़ चाहिए
साल 1983 में रिलीज़ हुई इस मूवी ने उस वक़्त काफ़ी सनसनी मचा दी थी. ये फ़िल्म ‘मालती’ की कहानी और उसके संघर्ष के इर्द-गिर्द घूमती है, जब उसका बॉयफ्रेंड सुरेश उसे प्रेग्नेंसी की हालत में छोड़ देता है. वो बेबी को रखने का फ़ैसला करती है और ‘सुरेश’ के खिलाफ़ क़ानूनी एक्शन लेती है.