मध्य प्रदेश पुलिस ने 76 साल के एक वृद्ध ग्यास प्रसाद विश्वकर्मा को एम्बुलेंस के न आने पर ठेले पर अस्पताल ले जाने की खबर दिखाने के लिए तीन पत्रकारों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.
पुलिस का आरोप है कि यह ‘भ्रामक और झूठी खबर’ है. यह घटना भिंड जिले के लहार प्रखंड में 15 से 16 अगस्त के बीच की है.
पत्रकारों द्वारा इस प्रखंड के मारपुरा गांव के एक निवासी हरि सिंह (40) को ठेले पर उनके पिता को ले जाते हुए देखे जाने के बाद 16 और 17 अगस्त को तीन मीडिया आउटलेट्स द्वारा इस समाचार को प्रसारित किया गया था, जिसके बाद इन खबरों के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज की.
जस्व और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की दो-सदस्यीय समिति गठित
हरि सिंह अपने पिता को सरकारी अस्पताल ले जा रहे थे. उन्होंने पूछे जाने पर पत्रकारों को बताया था कि उनके पिता को डायरिया हुआ था और कई बार फोन कॉल करने के बावजूद एम्बुलेंस नहीं आई.
चूंकि उनके पिता की हालत बिगड़ रही थी इसलिए वे और कुछ अन्य लोग उन्हें ठेले पर लेकर निकल पड़े. उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनके परिवार को किसी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलता है.
FIR का विरोध
पुलिस द्वारा पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की चौतरफा आलोचना हो रही है, जिसमें विपक्ष के साथ सत्तारूढ़ भाजपा भी शामिल है.
मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर पत्रकारों के खिलाफ झूठे बयान देने के लिए विश्वकर्मा के परिवार पर दबाव बनाने के लिए जिला प्रशासन की आलोचना की है.उन्होंने पत्र में कहा, ‘यह मीडिया की आवाज दबाना है और कांग्रेस इन पत्रकारों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेगी.’
भाजपा की राज्य कार्यसमिति के सदस्य रमेश दुबे ने भी एफआईआर दर्ज करने की निंदा की है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा, ‘पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर गलत है. वे केवल मुद्दों को सामने लाते हैं. जिला प्रशासन को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए, पत्रकारों पर नहीं.’
इस कृत्य को मनमाना बताते हुए पत्रकारों के एक समूह ने सोमवार को जिला कलेक्टर से मुलाकात कर FIR वापस लेने की मांग की. पत्रकार संघ ने मामले को सुलझाने के लिए दो दिन का अल्टीमेटम दिया है.