income tax department seized kiye hue paise ka kya karta hai

Enforcement Directorate Raids: भारत में हर साल सरकारी अधिकारियों से लेकर राजनेताओं और व्यापारियों के घरों से छापेमारी के दौरान करोड़ों की नकदी पकड़ी जाती

है. 21 जुलाई, 2022 को पश्चिम बंगाल के मशहूर ‘टीचर भर्ती घोटाले’ की आरोपी मॉडल अर्पिता मुखर्जी के घर से छापेमारी में ईडी ने 50 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की थी.

ईडी ने 21 जुलाई को उत्तरी 24 परगना के बेलघोरिया स्थित अर्पिता मुखर्जी के ठिकाने पर पहली रेड मारी थी. इस दौरान 21 करोड़ रुपये बरामद हुए थे.

इसके बाद एक और ठिकाने पर भी रेड मारी. इन दोनों छापों में ईडी ने क़रीब 50 करोड़ रुपये कैश बरामद किये. इस दौरान नोटों को गिनने के लिए चार कैश काउंटिंग मशीनें लगानी पड़ी और 10 घंटे तक नोटों की गिनती का काम चला था.

 

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ऑपरेशन वास्तव में किया कैसे जाता है?

सर्च टीम में अलग अलग संख्या होती है. फिर टीम आती है और सर्च वारंट देती है. इसके बाद जहां सर्च ऑपरेशन जारी रहता है, वहां किसी को भी उस परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है.

ना ही वे व्यक्ति फोन आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं और किसी भी बाहरी व्यक्ति से बात नहीं कर पाते हैं. वैसे अधिकारी मौके पर स्थिति के हिसाब से अन्य निर्णय ले सकते हैं.

अगर किसी व्यक्ति को वॉशरूम भी जाना होता है तो आयकर अधिकारी की परमिशन लेना आवश्यक होता है. कई बार सर्च ऑपरेशन लंबा चलता है तो खाने पीने के लिए भी रसोई का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

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सामान कैसे जब्त किया जाता है?

जिस व्यक्ति के यहां रेड मारी जाती है, वहां से सामान जब्त करने के भी कई नियम होते हैं. कम्प्यूटर आदि की जांच में सिस्टम की हार्ड डिस्क अपने साथ ले लेता हैं और केश, ज्वैलरी को जब्त कर लेते हैं.

फिर जिन जिन सामान को जब्त किया जाता है, उनकी जानकारी अगली पार्टी को भी दी जाती है और फिर उन्हें सत्यापित करवाया जाता है.

तलाशी अभियान के बाद बयान भी दर्ज किए जाते हैं. इसके अलावा अगर किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान पर छापा पड़ता है तो बेचने के लिए रखे सामान को जब्त नहीं किया जाता है.

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जब्त पैसे का क्या करता है आयकर विभाग

अगर जब्त संपत्ति की बात करें तो आयकर विभाग सबसे पहले उस पैसे को बैंक में जमा करवाते हैं. इनमें कमिश्नर से जुड़े खातों को भी इन्वॉल्व किया जाता है.

इसके बाद पूरी संपत्ति आय आदि की जांच होती है और उसके बाद टैक्स की गणना की जाती है, जिसमें जुर्माना आदि भी शामिल किया जाता है.

फिर टैक्स डिमांड की गणना होती है और फिर से ट्रॉयब्यूनल में सेट करती है और बचे हुए पेमेंट को वापस कर दिया जाता है.

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