ऐसे करे पूजा
आज नवरात्रि का पांचवा दिन है और इस दिन दुर्गा मां के स्कंदमाता रूप की पूजा की जाती है. शास्त्रों में मानना है कि इनकी पूजा करने से मुर्ख भी ज्ञानी bann जाता है. पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं देवी हैं स्कंदमाता. इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती है और कहा जाता है कि इनकी पूजा से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं, मान्यता यह भी है कि इनकी पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है. आइए जानते है नवरात्रि के पांचवे दिन की देवी के स्वरूप को, पूजा की विधि और महत्व के बारे में.
नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है. पुराण में बताया गया है कि स्कंदमाता प्रेम और वात्सल्य की देवी हैं. कहा जाता है कि स्कंदमाता हिमालय की पुत्री पार्वती ही हैं. इन्हें गौरी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान स्कंद को कुमार कार्तिकेय के नाम से जाना जाता है और ये देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति थे. इनकी मां देवी दुर्गा थीं और इसी वजह से मां दुर्गा के स्वरूप को स्कंदमाता भी कहा जाता है. मान्यता है कि अपने जिस भी भक्त पर स्कंदमाता अपनी कृपा बरसाती हैं उसके मन और मस्तिष्क में अपार ज्ञान की उत्पत्ति होती है. मान्यता यह भी है कि संतान प्राप्ति के लिए दंपत्तियों को इस दिन सच्चे मन से मां के इस स्वरूप की पूजा करनी चाहिए.
ऐसे करनी चाहिए देवी की उपासना
![Maa sakandmata puja vidhi](http://bawalbharti.com/wp-content/uploads/2020/10/IMG-20201022-WA0009.jpg)
नवरात्रि के पांचवें दिन सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद पूजा स्थान में चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें. गंगाजल से शुद्धिकरण करने के बाद एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्के डालें और उसे चौकी पर रख दें. अब पूजा का संकल्प लें. इसके बाद स्कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें. अब धूप-बत्ती जलाकर या दीपक जलाकर मां की आरती करें. आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें. स्कंदमाता को फल में केले का चढ़ावा चढ़ाएं kyunki ऐसा माना गया है कि माता को केला बहुत पसंद है और बाद में इस भोग को ब्राह्मण को दे दें. ऐसा करने से आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा और मन को बहुत शांति भी प्राप्त होगी. इसके साथ ही खीर और सूखे मेवे का भी आप भोग लगा सकते हैं.
स्कंदमाता की उपासना का मंत्र
![Maa sakandmata puja vidhi](http://bawalbharti.com/wp-content/uploads/2020/10/IMG-20201022-WA0011-1.jpg)
‘या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।’ माना जाता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से बाल रूप स्कंद कुमार की पूजा पूरी मानी जाती है. देवी स्कंदमाता की पूजा करते वक्त नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें और नारंगी रंग के कपड़ों और श्रृंगार सामग्री से ही देवी को सजाएं. देवी अपने इस रूप में यानि स्कंद माता के रूप में अपने भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती हैंं इसलिए भक्त जो चाहें उनसे मांग सकते हैं.