delh high court asks center why delhi get 480 490 mt oxygen

कोविड महामारी के बीच दिल्ली में गहराते ऑक्सीजन संकट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर दिल्ली को 480-490 मेट्रिक टन (MT) ही क्यों किया गया जबकि मांग 700 मेट्रिक टन से ज्यादा की है.

उन्होंने इसके लिए कल तक का समय दिया है. साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी पूछा है कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा आवंटन क्यों दिया जा रहा है. एमिकस क्यूरी और दिल्ली सरकार ने बताया था कि महाराष्ट्र की 1500 MT टन मांग थी उसके 1661 MT दी जा रही है.

जबकि एमपी को 445 MT ऑक्सीजन देनी थी उसको 540MT दी जा रही है. वहीं केंद्र ने कहा कि दिल्ली के पास 480 MT ऑक्सीजन लेने के लिए भी टैंकर नहीं हैं. इसके अलावा हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि दिल्ली के बाकी 4 पीएसए के लिए वेंडर कब तक उपलब्ध कराए जाएंगे.

उन्होंने दिल्ली सरकार को यूपी की तरह डीआरडीओ से ऑन बॉर्ड ऑक्सीजन बनाने के लिए आग्रह भेजने को कहा है. हाईकोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में ऑक्सीजन की हालत को देखते हुए इस पर विचार करें.

दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली में कालाबाज़ारी के जरिए बेची जा रही रेमेडेसिविर और ऑक्सीजन सिलेंडरों को केस प्रॉपर्टी ना बनाकर रिलीज किया जाए, ताकि अस्पतालों में इनका इस्तेमाल किया जा सके. 

हाईकोर्ट ने कहा कि जब भी पुलिस इस तरह दवा या सिलेंडर जब्त करे, वो इनके जेनुअन होने का पता लगाए, इसके बाद डिप्टी कमिश्नर को इसी जानकारी दे. कोर्ट के अनुसार  डिप्टी कमिश्नर इन्हें अस्पतालों के लिए रिलीज करे.

हाईकोर्ट ने ये भी साफ किया कि मरीज के घरवालों ने ये खरीदे हैं तो उनसे ना जब्त किए जाएं क्योंकि उन्हें जरूरत के चलते लिया है. हाईकोर्ट को बताया गया कि दिल्ली पुलिस ने 200 ऑक्सीजन सिलेंडर और 200 से ज्यादा रेमेडेसिविर बरामद किए हैं. 

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