भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 2017 में 27 से घटकर अब 12 रह गई हैं.
बैंक कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण की योजना के विरोध में शुक्रवार को सभी राज्यों की राजधानियों में विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे मार्च में संसद का घेराव करेंगे.अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने बयान जारी कर यह जानकारी दी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस महीने की शुरुआत में अपने बजट भाषण के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी.एआईबीईए ने बयान में कहा कि यूनाइटेड फोरम ऑफ यूनियंस के बैनर तले नौ यूनियनों एआईआईबीए,
एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ के लगभग 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी मिलकर सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.
एआईबीईए ने बताया कि शुक्रवार के धरने के बाद बैंक संगठन अगले 15 दिनों के दौरान देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे.बयान में आगे कहा गया, ‘हम 10 मार्च को बजट सत्र के दौरान संसद के समक्ष धरना प्रदर्शन करेंगे.’
एआईबीईए ने कहा कि इसके बाद 15-16 मार्च 2021 को बैंकों के 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी दो दिन की हड़ताल करेंगे.बयान के मुताबिक, ‘अगर सरकार अपने फैसले पर आगे बढ़ती है, तो हम आंदोलन तेज करेंगे और लंबे समय तक हड़ताल और अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे.
हम मांग करते हैं कि सरकार अपने फैसले पर फिर से विचार करे.’एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा, ‘सरकारी बैंकों के सामने एकमात्र समस्या फंसे हुए कर्ज (एनपीए आदि) की है, जो अधिकांश कॉरपोरेट और अमीर उद्योगपतियों द्वारा लिए जाते हैं.
सरकार उन पर कार्रवाई करने के बजाय बैंकों का निजीकरण करना चाहती है.’ 2019 में सरकार ने एलआईसी को आईडीबीआई बैंक में अहम हिस्सेदारी दे दी थी.
इसके अलावा 2020 में 10 सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को पिछले वित्त वर्षों में छह बड़े आकार के बैंकों में समेकित कर दिया था.
इसके साथ भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 2017 में 27 से घटकर अब 12 रह गई हैं.