दरअसल 57 नौकरशाहों ने आम आदमी पार्टी की मान्यता रद्द करने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. और ऐसे नौकरशाहों की संख्या है 57. और मांग ये भी की है कि आम आदमी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव न लड़ने दिया जाए.
15 सितंबर को यह चिट्ठी भेजी गई है. चिट्ठी में इन अधिकारियों ने केजरीवाल पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने अपने राजनीतिक फायदे के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों का इस्तेमाल किया है. और ये इस्तेमाल करने के लिए आम आदमी पार्टी के लोग भोला बनने का दिखावा करते हैं.
इस लेटर पर हस्ताक्षर करने वालों में एम मदन गोपाल (पूर्व एसीएस, कर्नाटक), आनंद बोस (पूर्व सीएस केरल), आर डी कपूर (पूर्व खाद्य और वितरण सचिव) सहित कई सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शामिल हैं. aam aadmi party ko band karo
चिट्ठी में कहा गया ?
पत्र के अनुसार, अरविंद केजरीवाल ने पुलिसकर्मियों, होमगार्डों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्टेट ट्रांसपोर्ट के ड्राइवरों और कंडक्टरों और मतदान केंद्र अधिकारियों से विधानसभा चुनावों में पार्टी की मदद करने का आह्वान किया है.
इस महीने की शुरुआत में केजरीवाल ने राज्य परिवहन चालकों से अपील की थी कि वे राज्य में लोगों से आप को वोट दिलवाएं. चिट्ठी लिखने वाले नौकरशाह कह रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल लोगों को गुमराह कर रहे हैं.
चिट्ठी में ये भी लिखा गया है, वोटों के बदले, आम आदमी पार्टी उन्हें मुफ्त बिजली, मुफ्त शिक्षा देने और महिलाओं के बैंक खातों में “हजारों रुपये” ट्रांसफर करने का वादा कर रही है जो उचित नहीं है.
Representation of People Act 1951 का उल्लेख हुआ?
इस चिट्ठी में धारा 6A और 123 के तहत Representation of People Act 1951 का उल्लेख किया गया है. ये धाराएं राजनीतिक कारणों से सरकारी मशीनरी के उपयोग जैसे भ्रष्ट आचरण आदि पर रोक लगाती हैं.
चिट्ठी लिखने वाले नौकरशाहों के समूह ने ‘भ्रष्ट आचरण’ करने के लिए आम आदमी पार्टी को अयोग्य ठहराने की मांग की है. उन्होंने लिखा है कि केजरीवाल की अपील चुनावी लोकतंत्र को नष्ट कर देती है.
और जनसेवा को कमजोर करती है. कहते हैं कि हम उम्मीद करते हैं कि बाकी कर्मचारी इस तरह की बात में नहीं आएंगे.इस मामले पर अभी तक आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.