why State governments buy Corona vaccine by giving more price

लोकल लोकल करने वाली सरकार राज्यों से कह रही है टेंडर निकालो ग्लोबल ग्लोबल

बजट में बताया गया कि 35000 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस पैसे से टीका ख़रीदा जाएगा। बजट में लिखा है कि राज्यों को दिए जाने वाले फंड के तहत यह पैसा है।

लेकिन इसे खर्च केंद्र सरकार कर रही है। राज्य सरकार को टीका ख़रीदने के लिए सरकार कुछ दे रही है या नहीं पता नहीं। यही नहीं फ़रवरी के बजट से पहले मोदी सरकार लगता है कि टीका ख़रीदना भूल गई थी। नहीं तो पता चलता कि सरकार ने कितना प्रावधान किया था? जब दुनिया टीका ख़रीद रही थी तब मोदी सरकार क्या कर रही थी?

यह कैसे हो सकता है कि टीके की ख़रीद के मामले में सरकार इस तरह हाथ पर हाथ धरे रह जाए। अब पता चल रहा है कि इस पैसे से टीका ख़रीद कर राज्यों को दिया जा रहा था। केंद्र राज्यों के लिए रखे गए पैसे से ख़रीद रहा है।

जब केंद्र को अनुदान ही देना था तो अपने लिए पैसे का प्रावधान कर लेता। वैसे भी इतने पैसे से तो सौ करोड़ डोज़ ख़रीदे जा सकते हैं तो क्या सौ करोड़ डोज़ के आर्डर दिए गए हैं?

पिछले साल जब तालाबंदी जैसे मूर्खतापूर्ण फ़ैसले से लोग बर्बाद हो गए, अर्थव्यवस्था चौपट हो गई तो नया नारा गढ़ा गया ताकि नई हेडलाइन छप सके। आत्मनिर्भर भारत। लोकल लोकल गाना शुरू हुआ।

अब वही सरकार राज्यों को ग्लोबल टेंडर निकालने की अनुमति दे रही है। लोकल है नहीं। ग्लोबल में मिल नहीं रहा है। मोदी सरकार ने ग्लोबल टेंडर क्यों नहीं निकाला, राज्यों से क्यों कहा जा रहा है?

तो क्या राज्यों से यह भी कहा जाएगा कि वे अपना दूतावास भी खोल लें। आपकी ज़िंदगी से खिलवाड़ अब भी जारी है। इन सवालों को पीछे छोड़ने के लिए नए नए मुद्दे पैदा किए जा रहे हैं। आप लगे रहिए उन मुद्दों में लेकिन लौट कर आना ही होगा इस पर। कोरोना तो जाएगा नहीं। न सरकार की झूठ बोलने की आदत जाएगी।

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