मथुरा मंदिर मे नमाज़ पड़ने पर सामाजिक कार्यकर्ता फैसल खान को किया गया गिरफ्तार
मंदिर‘ में दाना चुगकर चिड़ियां ‘मस्जिद‘ में पानी पीती हैं,
मैंने सुना है ‘राधा’ की चुनरी, कोई ‘सलमा’ बेगम सीती हैं
एक ‘रफ़ी’ था महफ़िल महफ़िल ‘रघुपति राघव’ गाता था
एक ‘प्रेमचंद’ बच्चों को ‘ईदगाह‘ सुनाता था
कभी ‘कन्हैया’ की महिमा गाता ‘रसखान’ सुनाई देता है
औरों को दिखते होंगे ‘हिन्दू’ और ‘मुसलमान’ मुझे तो हर शख़्स के भीतर ‘इंसान’
दिखाई देता है!
फ़ैसल ख़ान भाई, इसी तरह के शख़्सियत हैं। वो वाक़ई रफ़ी हैं जो महफ़िल महफ़िल रघुपति गाते हैं।
जो हमेशा अपने व्यवहार में सौहार्दपूर्ण होते हैं। आप अगर किसी दिन फ़ैसल भाई की महफ़िल में बैठ जाएं तो उठने का मन ना करे। उन्होंने हर धर्म की किताबों को इतना रमा है जो उनकी किसी भी ज़रूरत से बहुत ज़्यादा है।
आप चाहे कृष्ण भक्ति की बात करें, आप चाहें भगवान राम या फिर भगवानों के भगवान शिव जी की बात करें या मुस्लिमों की किताब क़ुरआन को लेकर कोई बात करनी हो उन्हें किताब में लिखीं गईं बातें वर्स टू वर्स याद हैं।
कुछ साल पहले फ़ैसल भाई को जानने मौक़ा मिला… वो मौक़ा था कृष्ण जन्माष्टमी के दिन, ख़ुदाई ख़िदमतगार सबका घर नामक एक घर में जहां हर धर्म के, हर स्टेट और हर विचारधारा के लोग जो केवल प्रेम और सद्भावना का भाव मन में लेकर चलते हैं।
वहां उनको सुनते वक़्त लगा कोई भी धार्मिक व्यक्ती भी इतना धार्मिक ज्ञान शायद ही रखता हो…. उनको सुनते वक़्त आप धार्मिक महत्व के पहलुओं से वाक़िफ़ होते हैं। और यही नहीं धार्मिक इतिहास ( चाहे जो भी धर्म हो) उस में भी आपके ज्ञान में केवल वृद्धि होती है।
उस दिन फ़ैसल भाई को सुनते वक़्त मैं मंत्रमुग्ध हो गयी थी। और जब से फ़ैसल भाई को सुनने में दिलचस्पी पैदा हुई।

पिछले कई सालों से ख़ुदाई ख़िदमतगार के नेशनल कन्वेयरनर होने के नाते फ़ैसल भाई, शांति, भाईचारे और सद्भावना के विचार लेकर देशभर और देश से बाहर भी यात्राएं करते रहे हैं।

जितनी सरलता से वह नमाज़ में आयतें पढ़ते हैं उसी तरह गीता के श्लोक, कृष्ण जी की वाणी और गुरु गोबिंद सिंह जी की वाणी भी कहते हैं। अगर आप कभी ओखला की तरफ़ रुख करें तो एक बार सबका घर ज़रूर जायेगा।
वहाँ आपको सौहार्दपूर्ण रहते हुए भाई मिलेंगे। जो हिंदू भी हैं, क्रिश्चियन भी, मुस्लिम और अन्य धार्मिक लोग मिलेंगे! उस छोटे से घर में समूचा देश रहता है जो बिल्कुल हमारे देश की तरह पूर्णतः Secular है।
29 October को मथुरा के नंद बाबा मंदिर मे पढ़ी थी नमाज़

बीते दिनों 24 October 2020 से 29 October 2020 तक के लिए फ़ैसल भाई अपने कुछ साथियों जिनमें चाँद मोहम्मद, आलोक रतन, और नीलेश गुप्ता शामिल हैं, को लेकर ब्रज में 84 कोस की परिक्रमा के लिए गए और इसी यात्रा के दौरान 29 October को मथुरा के नंद बाबा मंदिर में भी दर्शन किए, और दर्शन के दौरान वहाँ रामचरितमानस की चौपाइयां सुनाईं।
दर्शन उपरांत उन्होंने मंदिर के पुजारी जी से नमाज़ अदा करने की अनुमति मांगी…. पुजारी जी ने ही प्रांगण में नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी। उन्होंने वहाँ नमाज़ अदा की और वहाँ से विदाई ली और अपनी यात्रा से लौट आए।
नवंबर 1, 2020 को फ़िर FIR दर्ज हुई जिसमें चारों यात्रियों पर 153A, 295, और 505 के तहत मुक़दमा दर्ज हुआ
मंदिर के प्रांगण में नमाज़ अदा करते हुए फ़ैसल खान व अन्य साथी चाँद मोहम्मद की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हुईं तो किसी ने दुर्भावना से मंदिर के पुजारी जी को शिकायत करने को तैयार कर लिया
और बीते नवंबर 1, 2020 को फ़िर FIR दर्ज हुई जिसमें चारों यात्रियों पर 153A, 295, और 505 के तहत मुक़दमा दर्ज हुआ, 2 नवंबर 2020 को शाम के क़रीब 4 बजे उत्तर प्रदेश पुलिस उन्हें दिल्ली में गिरफ़्तार करने के बाद मथुरा ले गई।
अब देखना यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस अपने आरोपों को किस प्रकार सही साबित करती है…
जब कि फ़ैसल ख़ान भाई जैसे लोग किसी की भी भी भावनाओं को आहत नहीं करते हैं।
हम उत्तर प्रदेश पुलिस से यह अपेक्षा करते हैं कि वो ऐसे सामाजिक सौहार्द की चाहत रखने वाले लोगों को पहचाने और समाज की दो ऐसी कड़ियों को जोड़े रखने का प्रयत्न करते रहते हैं
जिन्हें तोड़ने के लिए इतिहास में और आज भी सबसे ज़्यादा जतन किए जाते रहें हैं!
सभी धर्मों की सबसे पहली और प्राथमिक सीख यही होती है कि मनुष्य , मनुष्य और मनुष्यता के लिए।
और फ़ैसल ख़ान भाई जैसे लोग इसी सीख को लेकर चलते हैं! और ऐसे लोग केवल समाज को जोड़ने का काम करते हैं।