Two-child policy will increase female feticide manifold

जब दो ही बच्चे अनिवार्य हो जायेंगे तो ज़्यादातर लोग चाहेंगे कि दोनों बेटे ही हों! और अगर पहली संतान लड़की हुयी तो दूसरे बच्चे का भ्रूण जांच करवायेंगे और फिर लड़की निकली तो कोख में ही मार देंगे!

जो उत्तर भारतीय समाज लगातार 5-6 बेटियाँ पैदा होने के बाद भी बेटे की चाह में और बच्चे पैदा करता जाता है, वो दो लड़कियाँ पैदा होने पर कैसे रुकेगा! आख़िर वंश चलाने, निर्वंश न कहलाने के लिए, मरने के बाद मुखाग्नि देने और संपत्ति को सहेजने के लिए हिन्दुओं को बेटा जो चाहिये! ध्यान रहे उत्तर प्रदेश में चाइल्ड सेक्स रेश्यो 902 फीमेल चाइल्ड प्रति 1000 मेल चाइल्ड है!

लावारिस बच्चों की संख्या भी बढ़ेगी! लोग तब तक बच्चा पैदा करके मारते या लावारिस छोड़ते रहेंगे जब तक कि बेटा न पैदा हो जाये!

अब उन महिलाओं के बारे में सोचिये जिन्हें पहली दो संताने बेटियाँ होंगी! उनके बारे में यही बेटाप्रेमी घटिया समाज क्या कहेगा! महिलायें बच्चा पैदा करने की मशीन बनकर रह जायेंगी!

ऐसी नीति (कम से कम भारत में) सिर्फ़ मूर्ख इस्लामोफ़ोबिक हिन्दू के दिमाग़ में ही आ सकती हैं! और उनका असली निशाना असल में जनसंख्या कम करना नहीं बल्कि मुसलमानों से नफ़रत है! और उनके मूर्खता की सीमा देखिये कि उनकी ऐसी नीति से हिन्दुओं को ही सबसे अधिक नुकसान होगा!

नोट: डेमोग्राफिक फैक्ट ये है कि अधिक बच्चे पैदा करने का कारण धर्म नहीं बल्कि ग़रीबी और अशिक्षा है! ना यकीन हो तो दुनिया में सबसे अधिक बच्चे पैदा करने वाले देशों का नाम देख लीजिये. इसमें तमाम क्रिस्चियन देश मिलेंगे, और हिन्दू बहुल भारत और नेपाल की TFR कम से कम 30 इस्लामिक देशों से अधिक मिलेगी.

लेखक ; तारा शंकर (पीएचडी) jnu

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