‘सुल्ली फॉर सेल’ नामक एक ओपन सोर्स वेबसाइट बनाई गई, जिस पर मुस्लिम महिलाओं के ट्विटर हैंडल से जानकारियाँ और तसवीरें निकाल कर डाली गईं और इन्हें सार्वजनिक तौर पर नीलाम किया गया, जिसे ‘सुल्ली डील’ कहा गया है।
हालांकि शिकायत के बाद यह वेबसाइट बंद कर दी गई है और फ़िलहाल इसे एक्सेस नहीं किया जा सकता है, पर ‘सुल्ली फॉर सेल’ और ‘सुल्ली डील’ के ज़रिए मुस्लिम महिला पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, कलाकारों और शोधार्थियों को निशाना बनाया गया है।
उन्हें इसके ज़रिए ट्रोल किया गया है, उनकी तसवीरें नीलाम की गई हैं, ट्विटर हैंडल व दूसरी निजी जानकारियाँ सार्वजनिक की गई हैं और उनके लिए ‘सुल्ली’ जैसे अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
क्या है पूरा बवाल ?
दरअसल ओपन सोर्स ऐप बनाया गया- ‘सुल्ली फॉर सेल’। इस पर कई सोशल मीडिया से उठाई गई मुस्लिम महिलाओ की तसवीरें डाली गईं। ‘मुल्ली’ का बदला हुआ रूप है ‘सुल्ली’ और ये दोनों ही मुसलमान महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले अपमानजनक शब्द हैं।
भारत, ख़ास कर हिन्दी पट्टी, में इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें 80 से ज़्यादा महिलाओं की तसवीरें, उनके नाम और ट्विटर हैंडल दिए गए थे। इस ऐप में सबसे ऊपर पर लिखा था- ‘फाइंड योर सुल्ली डील’ पर क्लिक करने पर एक मुसलिम महिला की तसवीर, उसका नाम और ट्विटर हैंडल की जानकारी यूज़र से साझा की जा रही थी।
BBC ने गिटहब से बात की क्यूंकी सुल्ली फॉर सेल ओपेन सोर्स ऐप गिटहब पर बनाया गया था। गिटहब ने इसे सोमवार को हटा दिया। गिटहब ने बीबीसी से कहा, “हमने इस मामले में यूज़र का अकाउंट सस्पेंड कर दिया है। रिपोर्ट्स के आधार पर इस मामले की जाँच शुरू कर दी गई है। गिटहब की नीतियां ऐसे कॉन्टेंट, जो प्रताड़ना, भेदभाव और हिंसा को बढ़ावा देते हैं उनके ख़िलाफ़ हैं। ये कॉन्टेंट हमारी नीतियों का उल्लंघन है।”
महिला आयोग से हुई शिकायत
वीमन अगेन्स्ट वॉयलेंस एंड एक्सप्लॉयटेशन’ नामक संस्था ने दिल्ली महिला आयोग से इसकी शिकायत की और उम्मीद जताई कि दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी और मुसलिम महिलाएं सुरक्षित रहेंगी। और ऐसा खिलवाड़ किसी की माँ बहन के साथ न हो.
दिल्ली महिला आयोग ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने दिल्ली पुलिस को इस पर एक नोटिस जारी किया है। उन्होंने इसे ‘एक गंभीर साइबर अपराध’ क़रार दिया है और कहा है कि ‘कुछ मुसलिम महिलाओं की अनुमति के बग़ैर ही उनकी तसवीरें और निजी जानकारियाँ सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म से उठा कर इस पर साझा की गई हैं, जो ग़लत व ग़ैरक़ानूनी है।’
इस पूरे मामले से मुसलमान महिलाएँ कितनी परेशान और डरी हुई हैं, इसे फ़ातिमा ख़ान की ट्वीट से समझा जा सकता है। उन्होंने लिखा है, ‘सुबह नींद से उठी तो अपना और कुछ दूसरी मुसलिम महिलाओं के नाम गिटहब पर सुल्ली फ़ॉर सेल की सूची में शामिल पाया। यह अच्छा है कि इसे हटा लिया गया है, पर इसके स्क्रीन शॉट्स से ही शरीर में सिहरन दौड़ गई।’