सद्दाम हुसैन को 1982 में इराक में हुए ‘दुजैल नरसंहार’ मामले में फांसी दी गई थी. यह नरसंहार दुजेल नामक कस्बे में हुआ था, जहां 140 से ज़्यादा निर्दोष नागरियों को मौत के घाट उतार दिया गया था. वहीं, इससे अलग सद्दाम के और भी कई पहलू हैं, जिनमें उसकी तस्वीर कुछ अलग ही नज़र आती है.
सद्दाम हुसैन को बड़ी-बड़ी इमारतें और मस्जिदें बनाने का शौक़ था. इसके पीछे की वजह बताई जाती है तिकरित में बिताया गया उसका बचपन, दरअसल उनका बचपन बहुत गरीबी में गुजरा था
अपने खून से लिखवाई थी कुरान
सद्दाम हुसैन के द्वारा बनवाई गई मस्जिदों में से एक मस्जिद Umm al-Qura Mosque ऐसी है जहां सद्दाम के ख़ून से लिखी क़ुरान मौजूद है. जानकारों के अनुसार, कुरान लिखवाने के लिए सद्दाम हुसैन ने तीन सालों तक अपना ख़ून दिया था. यह ख़ून लगभग 26 लीटर बताया जाता है, जिससे उन्होंने क़ुरान लिखवाई थी. माना जाता है कि लोगों को दिखाने के लिए क़ुरान के सभी 605 पन्नों को शीशे के केस में रखा गया
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