इन दोनों को भारतीय जनता ‘शर्तिया ईलाज’ (‘रामबाण औषधि) जैसा ही मानकर चलने लगी है! और ये कमाल इस सरकार के सत्ता में आने के बाद हुआ है! किसी को नहीं पता कि इन दोनों पर किस नेशनल या इंटरनेशनल मेडिकल संस्था ने कोई शोध किया! इनकी कितनी मात्रा लेनी होती है,
इनमें क्या औषधीय गुण होते हैं, इनके साइड इफेक्ट्स क्या होते हैं, किन टेस्ट या ह्यूमन ट्रायल से ये दोनों गुज़रे हैं…….कुछ नहीं पता! लेकिन आयुर्वेद और ‘देसी’ के नाम पर करोड़ों लोग इसको खाये जा रहे हैं!
और ये सब पढ़ा-लिखा वर्ग सबसे ज़्यादा कर रहा है! रही बात औषधीय गुण की तो शायद ही ऐसी कोई वनस्पति हो जिसमें न हो! लेकिन सवाल ये है कि उसकी मात्रा कितनी हो, उसके साइड इफेक्ट्स क्या हैं, उसमें ज़हरीलापन कितना है, उसके अन्य शारीरिक बीमारियों के साथ कैसे परिणाम हो सकते हैं ये सब शोध का विषय हैं!
नोट: ख़बर आ रही है कि गिलोय को शायद राष्ट्रीय औषधि घोषित किया जा सकता है सरकार द्वारा! मने इस देश में कुछ भी हो सकता है!
लेखक- तारा शंकर (पीएचडी)