दुनिया बहुत तेज़ी से बदल रही है, छोटी छोटी चीज़े हमारी ज़िंदगी पर बहुत असर डालती है, जिस पर हम कभी गोर नहीं करते. आज हम आपको कुछ ऐसी फिल्मों के बारे मे बताएंगे जो दुनियाभर में मचे हर बवाल को बहुत आसानी से समझाती है
Jojo Rabbit (2019)
फिल्म दूसरे विश्व युद्ध के दोर की है दरअसल फिल्म का हीरो Jojo 10 साल का बच्चा है. और हिटलर उसका आदर्श है और काल्पनिक दोस्त भी. अंध राष्ट्रवाद में डूबे लोग कैसे सोचते हैं और क्या करते हैं, उसकी झांकी इस फ़िल्म में आपको मिल जायेगी. अंध राष्ट्रवाद, प्रोपगैंडा और नफ़रत से ख़तरों से रूबरू करवाती ये फ़िल्म.
Artical 15 (2019)
आज भी भारत के कई हिस्सों से ये ख़बर आम आती है के एक दलित को धोंडी पर बेथने की वजह से मार दिया गया. और आज भी हम एक दलित के हाथ से पानी पीना पसंद नहीं करते. जातिगत भेदभाव और उससे जुड़े अपराधों को बहुत अच्छी तरह से आर्टिकल 15 दर्शाती है.
Network (1976)
अगर कोई एक फ़िल्म है जो TRP के भूखे ब्रॉडकास्ट न्यूज़ चैनलों का सच सामने लाती है तो वो ये फ़िल्म है. फ़िल्म भले ही कई दशकों पुरानी हो मगर टीवी के पर्दे के पीछे का Decision Making System वही है. ये फ़िल्म उसी को उजागर करती है और आपको एक समझदार दर्शक बनाती है.
Office Space (1999)
ये डार्क कॉमेडी ऑफ़िस और कॉर्पोरेट कल्चर पर आधारित है जो हमारी रोज़ की ज़िंदगी पर Capitalism के असर को दिखाती है. फ़िल्म पूंजीवादी समाज और इंडस्ट्री पर व्यंग्य है
Bombshell (2019)
ऑफिस में होने वाले यौन शोषण और उससे लड़ने में क्या-क्या दिक्क़ते आती हैं, उसे ये फ़िल्म बख़ूबी बयान करती है. ये फ़िल्म #MeToo मूवमेंट के संदर्भ में है और सच्ची घटना पर बनी है.
Mulk (2018)
धर्म के नाम पर फैली नफ़रत और उसपर फर्ज़ी राष्ट्रवाद का तड़का लग जाए तो क्या क्या होगा, यही बता की कोशिश करती है ये फ़िल्म. फ़िल्म में मुराद अली मोहम्मद (ऋषि कपूर) की देशभक्ति पर पर सवाल उठते हैं और यही उनकी लड़ाई बन जाती है.
Sorry We Missed You (2019)
डिलीवरी और E-Commerce के पूरे सिस्टम में हम सबसे नीचे काम रहे लोगों का चेहरा, उनकी दिक्क़ते, उनके शोषण आदि को नहीं जानते हैं. ये फिल्म हमे उन्ही दिक्क़तो से रूबरू कराती है.