मुसलमान लड़के एक साजिश के तहत हिंदुओं की लड़कियों को झांसे में ले रहे हैं, शादी के नाम पर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं. हिंदू धर्म खतरे में है. Love Jihad कर रहे हैं. हिंदू धर्म पर इस हमले के लिए सख्त कानून जरूरी है.
नवंबर 2020 में यूपी सरकार ऐसी ही दलीलों के साथ धर्मांतरण विरोधी कानून लेकर आई. जानना रोचक होगा कि एक साल बाद इस कानून के तहत कितने लोगों को सजा मिली? यूपी सरकार का एक साल का डेटा देखेंगे तो सवाल उठेगा कि क्या ‘लव जिहाद’ सिर्फ कपोल कल्पना है?
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दिए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2020 से अगस्त 2021 तक पूरे प्रदेश में ‘लव जिहाद’ कानून के तहत कुल 108 मामले दर्ज हुए.
सच ये है कि इनमें से किसी भी मामले में अब तक दोष साबित नहीं हुआ है. किसी में जांच चल रही है तो कोई मामला कोर्ट में लटका है
डिटेल में समझिए.
इन 108 मामलों में 257 अभियुक्त नामजद हुए और 83 नाम जांच के दौरान प्रकाश में आए. प्रदेश में दर्ज कुल मामलों में 31 मामले ऐसे भी हैं, जिसमें अभियुक्त नाबालिग यानि 18 वर्ष से कम उम्र के हैं.
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के इस नए कानून के अंतर्गत बरेली जोन में सबसे ज्यादा- कुल 28 मुकदमे दर्ज हुए. दूसरे नंबर पर मेरठ जोन रहा जहां कुल 25 मुकदमे दर्ज हुए. वाराणसी कमिश्नरेट में इस नए कानून के अंतर्गत अभी तक एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है.
मतलब जिस ‘लव जिहाद’ का हव्वा खड़ा किया गया उसे एक भी केस में यूपी पुलिस साबित नहीं कर पाई है. समस्या ये है कि दो प्यार करने वालों को या उनका सपोर्ट करने वालों को बिना दोष साबित हुए सजा काटनी पड़ती है.
कानूनी लड़ाई के अलावा एक लड़ाई इन्हें हिंदू धर्म के कथित ठेकेदारों से भी लड़नी पड़ती है. किसी को कोर्ट परिसर से घसीट लिया जाता है तो किसी को पुलिस के सामने प्रताड़ित करते हैं ये स्वघोषित धर्म रक्षक. दिक्कत की बात ये है कि पुलिस अकसर इनके सामने मूकदर्शक बन जाती है.
यूपी में कथित लव जिहाद का कानून बनने के बाद कई और राज्य भी इसी नक्शेकदम पर चले हैं. लेकिन यूपी में इस कानून के तहत दर्ज केसों का हश्र देखकर इस पूरी कानून के औचित्य और सरकारों की नीयत पर गंभीर सवाल उठते हैं.
source: Quint