मध्य प्रदेश: भिंड जिले के अमाह गांव में एक परिवार पर कोरोना का कहर इस तरह से टूटा की पूरा परिवार बिखर गया. कोरोना से पहले पिता की मौत हुई, फिर मां भी चल बसी. अब इस परिवार में तीन बच्चियां और दो बच्चे हैं, जो गांववालों से भीख मांगकर खाने खाते हैं.
झोपड़ी टूटी है, बारिश हुई तो श्मशान में टीन शेड के नीचे सो जाते हैं. इनकी कच्ची मड़ैय्या को घर मान लें, ज्यादा कमरे नहीं हैं सो 10 साल की निशा कुछ यूं ही आंगन बुहार लेती है.
ठीक ही है कि दो बहनें तीन साल की मनीषा और दो साल की अनीता की चोटी गूंथनी नहीं पड़ती, बाल छोटे हैं. हां, छह साल का बाबू राजा कुछ यूं जींस पकड़े रहता है. सात महीने का गोलू भोला है.
दूध से काम चला लेता है. निशा कहती है, दूध पानी मिल जाता है, कपड़े भी मिल जाते हैं. कच्ची मड़ैय्या में रहते हैं, पानी बरसता है तो मरघट में चले जाते हैं.